Opinion: रूस पर मोदी सरकार की नीतियों का अमेरिका से संबंध पर कोई असर नहीं
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नई दिल्ली. आज पूरा विश्व, मोदी सरकार ( Modi Sarkar) की जिस नीति को लेकर अंचभित है वो है भारत की विदेश नीति (Foreign Policy). मोदी सरकार की इस विदेश नीति में भारत को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सशक्त बनाए रखने के साथ देश के हितों को प्राथमिकता में रखा गया है.
आज दुनिया भर की निगाहें भारत-अमेरिका संबंधों पर टिकी हैं. हाल में अमेरिका के चार दिन के दौरे की समाप्ति पर विदेश मंत्री एस जयशंकर (EAM S Jaishankar) ने एक अहम बयान में कहा कि भारत और अमेरिका दोनों देशों के हितों पर केंद्रित संकुचित विदेश नीति नहीं बल्कि दुनिया भर में प्रभाव डालने वाली विदेश नीति का पालन कर रहे हैं. भारत और अमेरिका के विचार दुनिया के कई मुद्दों पर अलग-अलग हैं लेकिन दोनों देश एक दूसरे को मिलकर काम करने के लिए पर्याप्त स्थान दे रहे हैं.
भारत-अमेरिका संबंध मजबूती के नए शिखर पर
पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत ने अमेरिका से एक स्वतंत्र और देश हितों को सर्वोच्च वरीयता देने वाली विदेश नीति बनाई. इस नीति में भारत ने जहां अमेरिका से अपने रक्षा जरुरतों को पूरा करने के लिए अत्याधुनिक हथियार हासिल किए हैं. वहीं क्वाड जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों का बेहतर प्रयोग कर चीन के बढ़ते खतरे के खिलाफ दुनिया के प्रभावशाली देशों अमेरिका, आस्ट्रेलिया, जापान को एकजुट कर चीन को मुंहतोड़ जवाब भी दिया है.
यूक्रेन जंग के दौरान भारत की विदेश नीति का दुनिया ने माना लोहा
यूक्रेन जंग की शुरूआत से ही पीएम मोदी की कुशल नीतियों के चलते भारत ने प्रभावशाली भूमिका निभाई. भारत ने सबसे पहले यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे अपने छात्रों को सकुशल घर वापसी को एक मिशन मोड में अंजाम दिया. दुनिया भर के देश जहां अपने नागरिकों और छात्रों को निकालने के मुद्दे पर सोच-विचार में ही जुटे थे. उसी दौरान भारत ने कुशल कूटनीति का परिचय देते हुए यूक्रेन और रूस दोनों से प्रभावशाली राजनयिक संबंधों के दम पर हजारों छात्रों और नागरिकोंं को सकुशल स्वदेश पहुंंचाया. इस मौके पर भारत ने बड़ा दिल दिखाते हुए अपने नागरिकों और छात्रों को निकालने की मदद करने वाले देशों की भी सहायता की. भारत की कुशल रणनीति की दुनिया भर में सराहना हुई.
तेल संकट में भी भारत की रणनीति ने दुनिया को अचंभित किया
यूक्रेन जंग की शुरूआत ने भारत के सामने एक ओर संकट खड़ा किया और वो था पेट्रोलियम उत्पादों की उचित दामों पर आपूर्ति का संकट. भारत अपनी पेट्रोलियम जरुरतों का 85 फीसदी आयात कर पूरा करता है. इस परिस्थिति में भारत के एक कुशल नीति का होना बेहद आवश्यक था. भारत रूस से पेट्रोलियम उत्पादों का एक बड़ा खरीददार था और यूक्रेन जंग के दौरान बड़ी संख्या में देशों द्वारा लगाए प्रतिबंधों के चलते इनका निर्यात करने में संकट का सामना कर रहा था. जून 2022 में ईराक के बाद रूस भारत का दूसरा सबसे बड़ा क्रूड आयल सप्लायर बना.
पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत ने सभी अंतरराष्ट्रीय दबावाें का मजबूती से सामना किया
यूक्रेन जंग से पहले रूस की भारत के पेट्रोलियम आयात में सिर्फ 1 फीसदी हिस्सेदारी थी जो जून 2022 में बढ़कर 18 फीसदी तक पंहुच गई. मई, 2022 में सामान्य रुप से 110 डॉलर प्रति बैरल की दामों के मुकाबले रूस ने भारत को 16 डॉलर कम कीमत पर तेल बेचा. रूस ने इस दौरान भारत को बेचे जाने वाले तेल में 30 डॉलर प्रति बैरल की भारी कमी की. यूक्रेन जंग के दौरान पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत ने सभी अंतरराष्ट्रीय दबावाें का मजबूती से सामना किया और दुनिया भर के सामने दिखाया कि भारत के लिए राष्ट्रहित सर्वोपरि हैं और ये किसी देश के दबाव में तय नहीं होते.
रूस से मिले अत्याधुनिक S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम ने दी भारत को मजबूती
यूक्रेन जंग की शुरूआत से पहले भारत ने रूस से अत्याधुनिक लंबी दूरी के सतह से हवा के मिसाइल डिफेंस सिस्टम S-400 का समझौता किया था. रुस पर इस मिसाइल सिस्टम को भारत को ना देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय दबाव का सामना करना पड़ा. लेकिन पीएम मोदी की कुशल विदेश नीति के चलते रूस ने सभी दबावों को दरकिनार करते हुए और प्रतिबंधों का सामना करते हुए भारत को सफलतापूर्वक इस सिस्टम की निगरानी की.
(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए News18Hindi किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है)
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Tags: EAM S Jaishankar, Foreign policy, Modi Sarkar
FIRST PUBLISHED : September 29, 2022, 17:52 IST
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