जानिए क्यों आज भी बिहार के क्षत्रिय क्षत्रप हैं प्रभुनाथ सिंह

पटना(अनूप नारायण सिंह)। प्रभुनाथ सिंह का जन्म बिहार के छपरा जिले के मशरख में 20 नवंबर 1953 को हुआ। प्रारंभिक शिक्षा छपरा से ही हुई। इसके बाद वे राजनीति में आ गए। कुछ दिनों बाद रामवतीदेवी से शादी हो गई। उनके दो पुत्र एवं दो पुत्रियां हैं।राष्ट्रीय जनता दल के वरिय नेता तथा जदयू के पूर्व सदस्य प्रभुनाथ सिंह बिहार के काफी प्रभावशाली नेता माने जाते हैं। प्रभुनाथ सिंह के राजनीतिक करियर की शुरुआत जनता दल से हुई। कुछ समय बाद जनता दल से अलग होकर, जदयू में शामिल हो गए। इसके बाद वे लगातार महाराजगंज की राजनीति में सक्रिय रहे। उन्होंने पहली बार महाराजगंज संसदीय सीट से 2004 में जदयू के टिकट पर जीत हासिल की। इससे पहले वे क्षेत्रीय स्तर की राजनीति में जदयू की तरफ से सक्रिय रहे। 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में वे राजद के प्रत्याशी उमाशंकर सिंह से 3,000 वोटों से हार गए थे। अप्रैल 2009 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के विदेशी मूल के मुद्दे को उछालते हुए, उन पर टिप्पणी कर चर्चा में आए थे। उन्होंने कहा था कि ‘उनका चेहरा, उनकी आवाज़ और उनकी भाषा मुझे नापसंद है। एक राष्ट्रीय नेता के रूप में उनकी लोकप्रियता और स्वीकार्यता, देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है।’2012 में वे जदयू से अलग हो गए और राजद के सदस्य बन गए। जदयू का दामन छोड़ते समय उन्होंने नीतीश कुमार पर पार्टी में दादागिरी करने का आरोप लगाया। जून 2013 में महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र के लिए हुए उपचुनाव में राजद प्रत्याशी प्रभुनाथ सिंह ने जदूय के प्रशांत कुमार शाही को 1 लाख 37 हजार 126 मतों से पराजित कर, उक्त सीट पर कब्जा किया था। मसरख से रिकॉर्ड चार बार विधायक भी रहे विवादों से इनका पुराना नाता है इनकी गिनती बिहार के दबंग राजनेताओं में की जाती है. बिहार के राजपूत वोटरों पर इनका खासा प्रभाव आज भी बरकरार है. विपक्ष की धारदार राजनीति के मुख्य स्वर भी रहे है. इन दिनों इनके पुत्र पूर्व विधायक रणधीर सिंह इनकी विरासत संभाल यहे है.पुत्री मधु सिंह,भतीजा सुधीर सिंह भी राजनीति में सक्रिय है भाई केदारनाथ सिंह बनियापुर से राजद के विधायक है।