बिहार

गाँधी जी सतत विकास द्वारा सर्वोदय की बात करते थे : प्रो. मुकेश कुमार

गया। गौतम बुद्ध महिला महाविद्यालय में इतिहास विभाग एवं आईक्यूएसी के संयुक्त तत्वावधान में “महात्मा गाँधी और सतत विकास” विषय पर एक दिवसीय विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। व्याख्यान का शुभारंभ प्रधानाचार्य प्रो. जावैद अशरफ़, बतौर मुख्य वक्ता पधारे मगध विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर इतिहास विभाग के प्रोफेसर व स्नातकोत्तर पुस्तकालय विज्ञान विभाग के निदेशक डॉ. मुकेश कुमार, कॉलेज के बर्सर डॉ सहदेव बाउरी, नैक समन्वयक डॉ शगुफ्ता अंसारी, इतिहास विभाग की अध्यक्ष डॉ अनामिका कुमारी एवं असिस्टेंट प्रोफेसर कृति सिंह आनंद तथा कॉलेज की पीआरओ डॉ कुमारी रश्मि प्रियदर्शनी ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलन द्वारा किया। तत्पश्चात अंग्रेजी विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ रश्मि प्रियदर्शनी के नेतृत्व में छात्रा हर्षिता, प्रियांशा, प्रगति द्वारा हारमोनियम पर महाविद्यालय कुलगीत तथा स्वागत गान की सुमधुर प्रस्तुति दी गयी। छात्रा रिशू एवं सौम्या ने “गाँधी जी का नाम बड़ा है, गाँधी जी का काम बड़ा है” गीत पर गाँधीजी के जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाते मनमोहक नृत्य की प्रस्तुति दी। अंजली, रिशू, शिवानी, प्रियांशु, श्रुति तथा मुस्कान द्वारा बनाये गये चरखे की सभी ने खूब तारीफ की। प्रधानाचार्य ने प्रो. मुकेश कुमार का स्वागत शॉल, महाविद्यालय की शोध पत्रिका ‘गरिमा’ तथा पौधा प्रदान करके किया। कार्यक्रम का संचालन कर रहीं श्रीमती आनंद ने प्रो कुमार की शैक्षणिक उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए स्वागत वक्तव्य दिया। तदोपरांत, अर्थशास्त्र विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ नगमा शादाब ने व्याख्यान के मुख्य विषय पर परिचय वक्तव्य दिया। डॉ. शादाब ने विभिन्न उदाहरणों द्वारा छात्राओं को सस्टेनेबल डेवेलपमेंट का आशय समझाया। महात्मा गाँधी एण्ड सस्टेनेबल डेवलपमेंट विषय पर अपने व्याख्यान में मुख्य वक्ता प्रो. मुकेश कुमार ने राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के कृत्यों एवं मानवता से ओतप्रोत विचारों पर प्रकाश डाला। उन्होंने देश के सतत विकास हेतु गाँधीवाद का अनुकरण करने की आवश्यकता पर बल दिया। प्रो. कुमार ने कहा कि गाँधी जी सतत विकास द्वारा सर्वोदय की बात करते थे। वे अनियंत्रित शहरीकरण, औद्योगिकीकरण, प्रकृति के दोहन तथा स्वार्थपरक विकास के विरोधी थे। वे सतत रूप से समग्र विकास के पक्षधर थे, जिसमें पर्यावरण, नैतिक मूल्यों, सामाजिक मूल्यों, आध्यात्मिक मूल्यों का अनिवार्य रूप से ध्यान रखा जाता हो। अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में प्रधानाचार्य प्रो. अशरफ़ ने कहा कि वास्तव में सतत विकास वही है, जिसमें भावी पीढ़ी की जरूरतों से समझौता किये बिना वर्तमान की आवश्यकताएँ पूरी की जायें। कहा कि गाँधीजी के सिद्धांतों पर चलकर ही सामाजिक न्याय और समानता प्राप्त की जा सकती है। धन्यवाद ज्ञापन करते हुए नैक समन्वयक डॉ शगुफ्ता अंसारी ने मुख्य वक्ता प्रो. कुमार के व्याख्यान की प्रशंसा करते हुए प्रधानाचार्य सहित समस्त महाविद्यालय परिवार की ओर से कृतज्ञता प्रकट की। उन्होंने एक अति लाभप्रद व्याख्यान के आयोजन हेतु डॉ अनामिका एवं श्रीमती कृति को विशेष रूप से बधाई दी। नैक समन्वयक ने डॉ रश्मि के नेतृत्व में छात्राओं द्वारा महाविद्यालय कुलगीत, स्वागत गीत एवं नृत्य की सुंदर प्रस्तुति की काफी प्रशंसा की। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान से हुआ। व्याख्यान में डॉ जया चौधरी, डॉ प्यारे माँझी, डॉ प्रियंका कुमारी, प्रीति शेखर, डॉ अमृता घोष, डॉ पूजा राय, डॉ फरहीन वजीरी, डॉ पूजा, डॉ सुरबाला कृष्णा, डॉ सुनीता कुमारी सहित विभिन्न विभागों के फैकल्टीज, अन्या, निकिता केसरी, तान्या, निधि आदि अनेक छात्राओं की उपस्थिति रही।

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