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डॉ. रूमा देवी: कभी पैसों के अभाव में छूटी थी पढ़ाई, अब 110 युवा प्रतिभाओं को दे रहीं स्कॉलरशिप

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रिपोर्ट-मनमोहन सेजू

बाड़मेर. कहते हैं कि मंजिल उनको मिलती है जो खुद के लिए नहीं बल्कि दूसरों की राहें तलाश करते हैं. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है झुग्गी झोपड़ी से निकलकर अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी तक का सफर तय करने वालीं डॉ. रूमा देवी ने. इस हस्तशिल्प डिजाइनर ने शिक्षा, खेल और कला के क्षेत्र में पिछले 2 सालों में 27 लाख 50 हजार रुपये छात्रवृत्ति के रूप में खर्च किए हैं.

दरअसल बाड़मेर की हस्तशिल्प डिजाइनर डॉ. रूमा देवी ने अक्षरा छात्रवृत्ति योजना शुरू की है जिसका उद्देश्य ग्रामीण इलाके की प्रतिभाओं की आर्थिक मदद कर उन्हें आगे बढ़ाना है. साल 2021 में शुरू हुई इस योजना के तहत पहले साल 50 प्रतिभाओं को सालाना 25-25 हजार रुपये की छात्रवृत्ति दी गई थी. वहीं इस साल खेल, शिक्षा व कला के क्षेत्र में अच्छा कार्य करने वाली और जरूरतमंद 60 प्रतिभाओं को 25-25 हजार रुपये की छात्रवृत्ति दी गई है.

रूमा देवी-सुगणी देवी अक्षरा छात्रवृत्ति
बाड़मेर जिले के स्कूल व कॉलेज के जरूरतमंद और हुनरमंद विद्यार्थियों को प्रतिवर्ष दी जाने वाली ‘रूमादेवी-सुगणी देवी अक्षरा छात्रवृत्ति 2022-23 में चयनित 60 प्रतिभाओं को छात्रवृत्ति प्रदान की गई. छात्रवृत्ति पाने वाली अनीसा का कहना है कि आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण वह क्रिकेट किट का सामान नहीं ले पा रही थी. इस दौरान उन्होंने अक्षरा योजना के तहत आवेदन किया था, लिहाजा चयन होने के बाद 25 हजार रुपये की छात्रवृत्ति मिली. इससे उनको काफी मदद मिलेगी. वहीं, बाड़मेर के गिड़ा निवासी कुश्ती प्लेयर रफीक खान ने बताया कि उनके लिए यह छात्रवृत्ति वरदान साबित हुई है.

डॉ. रूमा देवी ने कही ये बात
डॉ. रूमा देवी का कहना है कि वह खुद पैसों के अभावों में महज 8वीं तक ही पढ़ सकीं, लेकिन अब वह पैसों की अभावों में किसी अन्य बेटी को निराश नहीं करेंगी. बाड़मेर जिले में शिक्षा, कला व खेल के क्षेत्र में अनेक प्रतिभाएं हैं, लेकिन आर्थिक तंगी उनकी राह में रोड़ा बन रही है. प्रतिभाओं की इसी समस्या का समाधान करने के लिए अक्षरा छात्रवृत्ति योजना शुरू की गई है. 2 साल में अब तक 110 प्रतिभाओं को 25-25 हजार रुपये की छात्रवृत्ति प्रदान की जा चुकी है.

छात्रवृत्ति की ये है शर्त
छात्रवृत्ति का लाभ लेने के लिए लाभार्थी बाड़मेर जिले के ग्रामीण परिवेश से होना आवश्यक है. लाभार्थी के माता-पिता सरकारी नौकरी में नहीं होने चाहिए. इसके अलावा लाभार्थी के माता-पिता आयकर दाता भी नहीं होने चाहिए. जबकि विद्यार्थी के परिवार की आय 3 लाख रुपए से ज्यादा ना हो.

Tags: Barmer news, Rajasthan news, Success Story

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