
गया करबला में ज़िक्रे रसूल ए पाक का आयोजन किया गया। इस जलसे में सुन्नी उलिमा और शिया के उलिमा सिराते पाक के हवाले से अपने ख्यालात का इज़हार किया। ये प्रोग्राम आपसी खलीज को पाटने की बेहतर कोशिश है। मोहम्मद साहब ने इंसान को इंसान से मोहब्बत करने की हिदायत दी है। इस जलसे का आगाज़ हाफिज कारी अफरोज असदक साहब ने तिलावते कलाम ए पाक से किया इसके बाद बाबू गुलाम साबरी ने अपनी सुरीली आवाज से नात शरीफ का नज़राना पेश किया जिसे सामईन ने बहुत सराहा मुक़रीर मौलाना डॉक्टर हाजी सयैद तस्लीम रज़ा नकवी पेश ए इमाम नवादा ने मोहम्मद साहेब की हयात व ख़िदमात और आवसाफ़ बयान किया और बताया क कि मौजूदा हालात में मसलकी चपकलिश को छोड़ कर एक उम्मते मुसलमा को एक ही सफ़ में खड़े होने की ज़रूरत है। उसके बाद डॉ. सयैद शाह शब्बीर आलम कादरी ने जलसेे से खिताब करते हुए कहा की हमारे नबी ने 1400 साल पहले ही इस्लाम में दहेज को जायज़ क़रार नहीं दिया था।और इस जलसे में खास कर नौजवानों से अहद लिया की आप शादी करे को कोई दहेज़ का डिमांड ना करें इस जलसे में अज़म गयावी और सयेद हैदर हुसैन रिजवी ने भी नात शरीफ पढ़ कर लोगों के दिलों को छु लिया।