गया में छठ पूजा: धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक सौहार्द का संगम, जानिए इसका महत्व
गया। धर्म एवं आध्यात्म की गया धाम में कई त्योहार मनाए जाते हैं। उन्हीं में से एक है ‘छठ पूजा’। भगवान विष्णु की नगरी गयाजी में अन्य त्योहारों की भांति छठ पूजा का भी विशेष महत्व है, हालांकि यह पर्व बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश का मुख्य त्योहार माना जाता है।
बिहार में छठ का आयोजन भव्यता और श्रद्धा के साथ होता है। फल्गु नदी के तट पर स्थित विभिन्न घाटों पर छठ व्रतियों की भीड़, भक्तों का उत्साह, और भक्ति का वातावरण इस पर्व को अनोखा बना देता है। गया जी में छठ पर्व का अपना एक अलग ही इतिहास और सांस्कृतिक महत्व है, जो समय के साथ प्राचीन परंपराओं और धार्मिक मान्यताओं से जुड़ता गया है।
फल्गु नदी में कई वर्षों से हो रही छठ की शुरुआत
फल्गु नदी के तट पर स्थित ब्राह्मणी घाट पर में छठ पूजा की शुरुआत का कोई निश्चित इतिहास नहीं है, परन्तु ऐसा माना जाता है कि बिहार के गया जिले में वर्षा से इस परंपरा को लोगों ने जीवित रखा। ब्राहमणी घाट, जो फल्गु नदी के तट के किनारे बसी है, छठ पूजा के लिए एक आदर्श स्थान माना जाता है। समय के साथ यह परंपरा स्थानीय लोगों के बीच भी लोकप्रिय हो गई। जैसे-जैसे लोग जाने छठ का महत्त्व और प्रचलन बढ़ता गया। अब यह पर्व यहाँ इतनी श्रद्धा से मनाया जाता है कि भगविष्णु की धार्मिक धारा में यह पूरी तरह समाहित हो गया है।
समाजसेवियों ने की पहल तो बन गया स्वच्छ और सुंदर घाट
गया शहर के ब्राह्मणी घाट मंदिर के समीप नगर निगम के द्वारा आए जेसीबी मशीन से छठ व्रतियों के लिए कुंड बनाया गया। मंदिर परिसर की साफ सफाई, ब्लीचिंग पाउडर, लाइट आदि की व्यवस्था की गई है ताकि किस भी छठ व्रतियों और श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की कोई परेशानी न हो। स्थानीय वार्ड संख्या 39 के पार्षद संजय सिन्हा ने बताया कि ब्राह्मणी घाट पर नगर निगम के द्वारा साफ सफाई के साथ–साथ स्थानीय लोगो के सहयोग से छठ व्रतियों के लिए चाय और पानी की व्यवस्था की जा रही है। अर्घ्य देने के लिए फल्गु नदी में कुंड बनाए गए हैं। सहयोग करने वालों में मणी लाल पाठक, भोला पाठक, राकेश कुमार उर्फ बमबम, शंकर मउआर, सुजीत कुमार अम्बष्ठा, मनोज कुमार सिंहा, राजेश रमण, सुरेश प्रसाद, उत्तम पांडेय, दुखु, नीरज उर्फ बबलू मउआर, अशोक कुमार, विजय कुमार, चुन्नी श्रीवास्तव, राजेश रमण समेत आदि लोग शामिल हैं।